Monday, June 17, 2013

परिनीती चोपड़ा का पत्र

परिनीती चोपड़ा के बारे में जानकारी बटोरने के लिए जवां दिल परेशान हैं. वे इस बात से वाकिफ हैं. तभी तो रघुवेन्द्र सिंह को उन्होंने एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपनी ए-टू जेड जानकारी लिख डाली
एक्टिंग से मुझे सख्त नफरत थी. मेरी नजर में एक्टर्स के लिए कोई इज्जत नहीं थी. मुझे एक्टर्स सबसे बेकार लगते थे. मुझे समझ में नहीं आता था कि लोग क्यों इनके पीछे भागते हैं? ये इतने लोकप्रिय क्यों होते हैं? मैं अपनी दीदी (प्रियंका चोपड़ा) से यही कहती थी. वो मुझे हमेशा डांटतीं और कहती थीं कि तुम्हे एक्टिंग के बारे में कुछ नहीं पता, इसलिए बेहतर है कि तुम अपनी राय मत दो. अगर किसी दिन तुम एक्टर बन गई तो तुम्हे हमारी मेहनत समझ में आएगी. मैं उनसे हंसकर कहती कि मैं कौन सी एक्टर बनने वाली हूं!
लेकिन मुझे नहीं पता था कि किस्मत मुझे इसी प्रोफेशन में लेकर आएगी. मैं बचपन से बैंकर बनना चाहती थी. मेरी पैदाइश अंबाला में एक बिजनेस घराने में हुई. मेरे पापा आर्मी के साथ बिजनेस करते हैं. हमारे घर में सिनेमा देखने का कल्चर नहीं था. मैंने बचपन में कुल मिलाकर पन्द्रह फिल्में देखी होंगी. मेरे दो छोटे भाई हैं सहज और शिवांग. हम लोग बहुत पढ़ाकू थे. अनुशासित जीवन जीते थे. मैंने फिल्में देखनी तब शुरू की, जब मैं पढ़ाई के लिए मैनचेस्टर गई. उस वक्त मुझे पता भी नहीं था कि फिल्में कैसे बनती हैं? प्रोडक्शन हाउस कैसे होते हैं? लेकिन हां, मुझे इतना तो पता ही था कि यश चोपड़ा कौन हैं? आज मेरा नसीब देखिए कि मैं उन्हीं की कंपनी में एक्ट्रेस हूं.
अरे हां, मैं आप लोगों को यह बता रही थी कि मैं बैंकर बनना चाहती थी. तो बैंकर की पढ़ाई के लिए मैं इंगलैंड गई. वहां पर मैंने इकॉनॉमिक्स, फाइनेंस और बिजनेस में ट्रिपल ऑनर्स किया. उसके बाद मैं नौकरी के लिए लंदन शिफ्ट हो गई. बचपन के कुछ सपनों में से मेरा एक सपना यह भी था कि मैं लंदन या अमेरिका में नौकरी करूंगी. लेकिन जरूरी नहीं है कि हमारे सभी सपने पूरे हों. 2009 में मैं लंदन गई और उसी साल वहां रिसेशन आ गया. मुझे नौकरी नहीं मिली. हालांकि मैं ब्रिलिएंट स्टूडेंट थी. मैंने सोचा कि चलो, छह महीने के लिए इंडिया जाती हूं. इंटर्नशिप करूंगी और फिर लंदन लौट आऊंगी. मैं 2009 में मुंबई आ गई और अपनी बहन प्रियंका के साथ रहने लगी.
लोग सोचते हैं कि मैं और प्रियंका दूर के रिश्तेदार हैं. मैं उनके साथ अपना नाम जोड़ रही हूं, लेकिन यह सच नहीं है. मेरे और प्रियंका के पापा सगे भाई हैं. मैं बहुत लकी हूं कि वो मेरी बहन हैं. और मैं इस बात का अब पूरा फायदा भी उठाती हूं. अगर मुझे किसी प्रकार की दिक्कत या संशय होता है, तो मैं फौरन उन्हें फोन करती हूं. मैं तो उनकी अलमारी में से कपड़े भी निकालकर पहन लेती हूं. उसको मेरी लाइफ के बारे में सब पता है और मुझे उसकी लाइफ के बारे में सब कुछ पता है. कोई बॉयफ्रेंड प्रॉब्लम हो, तो सबसे पहले उसे ही पता चलता है. हालांकि मेरा कोई वैसा बॉयफ्रेंड नहीं है(हा-हा-हा).
सच कहूं तो आज तक किसी लडक़े की हिम्मत नहीं हुई कि वो मुझे प्रपोज करे. लडक़े मुझसे डरते हैं कि मैं चमाट-वमाट न मार दूं. कोई मुझे अप्रोच ही नहीं करता. और हां, मैं गालियां-वालियां भी बहुत देती हूं. कमीना, हरामी, एमसी, बीसी तो हम बड़े आराम से बोल देते हैं. आप सुनकर हंसेंगे कि ये गालियां पापा ने मुझे सिखाई हैं. मेरे पापा गाली में ही बात करते हैं. लेकिन हम पंजाबी लोग गाली देने के लिए नहीं देते. हम लोग प्यार से पूछते हैं कि अरे यार कमीने, कहां था तू? शायद इसीलिए मेरा कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं है. ओह, मैं भी कहां से कहां बात लेकर चली गई. मैं यह बता रही थी कि जब मैं मुंबई आई तो उन्हीं के पास रहती थी. उनके अलावा मुंबई में मेरा कोई दूसरा था भी तो नहीं.
प्यार इंपॉसिबल की शूटिंग के लिए दीदी एक दिन यशराज स्टूडियो गईं. मैंने उनके साथ ऐसे ही हो लिया. मैंने जब यशराज स्टूडियो देखा, तो दीदी से कहा कि यार, ये तो बड़ा कमाल का स्टूडियो है. इनका फाइनेंस या एकाउंट जैसा कोई डिपार्टमेंट है कि नहीं? दीदी ने कहा कि ऑफ कोर्स है. मैंने कहा कि मुझे यहां इंटर्नशिप करना है. मैं यशराज में रफीक से मिली, जो यशराज के मार्केटिंग हेड हैं. उन्होंने मुझे इंटर्नशिप पर रख लिया. एक महीने बाद मुझे यशराज के ऑफिस से प्यार हो गया. फिर मैंने जॉब के लिए अप्लाय कर दिया. रफीक ने कहा कि क्योंकि तुम प्रियंका की बहन हो, इसलिए मैं तुम्हे जॉब नहीं देना चाहता. मैंने छह महीने ऐसे ही काम किया. फिर एक दिन मैंने उनसे कहा कि भैया, मुझे अपना घर भी चलाना है, कितने दिन इंटर्नशिप करूंगी? तब उन्होंने मुझे जॉब पर रख लिया.
मैं मार्केटिंग डिपार्टमेंट में थी. यहां मेरा एक्टर्स से मिलना-जुलना होने लगा. मैंने दिल बोले हडि़प्पा, रॉकेट सिंह-सेल्समैन ऑफ द ईयर, प्यार इंपॉसिबल, बदमाश कंपनी, लफंगे परिन्दे, बैंड बाजा बारात फिल्मों पर काम किया. अगर आप फिल्म के अंत में देखेंगे, तो मेरा नाम आता है. एक्टर्स से लगातार मिलने-जुलने के बाद मुझे लगने लगा कि यार, ये काम तो मैं भी कर सकती हूं. मैंने नौकरी छोडऩे का मन बना लिया. उन्हीं दिनों बैंड बाजा बारात का प्रमोशन शुरू हो गया था. मनीष शर्मा (बैंड बाजा बारात के डायरेक्टर) मेरा दोस्त बन गया था. एक दिन शाम को मैंने मनीष से कहा कि तू जानता है, मैं सोच रही हूं कि थोड़ी एक्टिंग-वैक्टिंग करूं. वो जो-जोर से हंसने लगा. मुझे कुछ समझ में नहीं आया. फिर उसने कहा कि तू एक काम कर, तू शानू से मिल आ. शानू शर्मा यशराज की फिल्मों की कास्टिंग डायरेक्टर हैं.
मैं शानू के घर गई. उसने मुझसे ऐसे ही कुछ करवाना शुरू किया. मैंने सोचा कि चलो, इसी बहाने मेरी यशराज की कास्टिंग डायरेक्टर के साथ अच्छी-भली प्रैक्टिस चल रही है. ये तो एक्टिंग स्कूल से भी बढिय़ां हैं. उसने मुझे कैमरे पर शूट कर लिया. मैं उस बात को भूल गई. मैं रोज ऑफिस आ रही हूं. कुछ दिन बाद मैंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. यहीं बात खत्म हो गई. फिर अचानक एक दिन मनीष का फोन आया कि तुम क्या कर रही हो? तू ऑफिस आ जा. मैं आ गई ऑफिस. उसने कहा कि बधाई हो, तुम यशराज के साथ तीन फिल्मों का कांट्रैक्ट साइन कर रही हो. मैंने कहा कि क्या? मैं हैरान थी. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. उसने कहा कि उस दिन तू शानू के इर्द-गिर्द जो कर रही थी, वो तेरा ऑडिशन था. मनीष ने बताया कि मैं छह महीने से आदि (आदित्य चोपड़ा) को बोल रहा हूं कि आपके मार्केटिंग डिपार्टमेंट में एक लडक़ी काम करती है परिनीती. उसे जॉब छुड़वाओ, वो एक्ट्रेस है. वो लेडीज वर्सेस रिकी बहल की डिंपल चड्ढा बन सकती है.
अब मुश्किल यह थी कि मैं पापा को इस बारे में कैसे बताऊं. मैं अंबाला गई. मैंने पापा से कहा कि मैं एक्टिंग करने के बारे में सोच रही हूं. उन्होंने आश्चर्य से पूछा कि ये एक्टिंग कहां से बीच में आ गई? तुम वापस लंदन जाने वाली हो न? मैंने कहा, एक्चुअली पापा, मेरे पास यशराज की तीन फिल्मों का ऑफर आया है और पहली फिल्म लेडीज वर्सेस रिकी बहल है. यशराज का नाम सुनकर उन्हें बहुत खुशी हुई. मम्मी तो खुशी के मारे रोने लगीं. मुझे वो पल याद आ गया, जब दीदी मिस वल्र्ड बनी थीं. हम दस-पन्द्रह लोग रात को जागकर टीवी पर प्रोग्राम देख रहे थे. जब घोषणा हुई कि वो मिस वल्र्ड बन गई हैं, तो हम लोग पागल हो गए थे.
मैं खास तौर पर एक बात का आप लोगों से शेयर करना चाहती हूं कि मैं कितनी भी बड़ी एक्ट्रेस क्यों न बन जाऊं (जो शायद मैं एक दिन बनूंगी), लेकिन मैं कभी ट्रेन्ट्रम नहीं करूंगी. नकली नहीं बनूंगी. मैं कभी स्पॉइल्ड एक्ट्रेस नहीं बनूंगी. उसकी वजह यह है कि मेरी शुरूआत हबीब फैजल जैसे निर्देशक के साथ हुई है, जिन्होंने इशकजादे फिल्म के दौरान मुझे ट्रेन किया. मैं उन्हें प्यार से हिटलर बुलाती हूं, लेकिन वाकई मैं नसीब की बहुत धनी हूं. वे परफेक्शनिस्ट हैं. अगर वो नहीं होते, तो मैं इशकजादे की जोया नहीं बन सकती थी. मैं हट्टी-कट्टी थी. उन्होंने मुझे पतला बनाया.
आपसे यह बताना तो मैं भूल ही रही थी कि मैं एक ट्रेन्ड सिंगर हूं. मुझे बचपन से गाने का शौक है. 2003 में मैंने हिंदुस्तानी क्लासिकल सीखना शुरू किया. मैंने इसमें ग्रेजुएशन किया है. कभी-कभी मैं सोचती हूं कि अगर एक्टिंग में मेरा कुछ नहीं हुआ, तो मैं सिंगर बन जाऊंगी. सिर्फ गाने के लिए ही मैं स्कूल में इंगिलश म्यूजिकल्स प्लेज करती थी. उसमें मुझे एक्टिंग के साथ गाने का मौका मिल जाता था.
आपको एक बात सच-सच बताती हूं. अब मैं जितना सम्मान एक्टिंग के प्रोफेशन का करती हूं, उतना किसी दूसरे प्रोफेशन का नहीं. अब मुझे समझ में आ गया है कि एक्टर्स क्यों इतने लोकप्रिय होते हैं और वे क्यों इतना पैसा कमाते हैं? दो सौ लोगों की यूनिट के बीच कैमरे के सामने रोना या हंसना बहुत मुश्किल काम है. सिर्फ मेकअप लगाकर कैमरे के सामने खड़ा होना एक्टिंग नहीं होती. यह आसान काम नहीं है. जैसे इशकजादे की शूटिंग हमने कडक़ती ठंड में की. इतनी ठंड थी कि आप पानी रख दो, तो वह जम जाए. एक शॉट में मुझे जीप चलानी थी, मेरे सामने अस्सी किलो का कैमरा रखा था. सडक़ पर सामने से गाय-भैंस भी आ रही हैं. फिर मुझे जीप से कूदना है, गोली भी चलानी है. बाप रे बाप, इतना सारा काम और एक्रागता के साथ करना है. लेकिन मैं इन चीजों को एंजॉय कर रही हूं. अब मैं सोचती हूं कि मैं बैंकर बनना ही क्यों चाहती थी? मुझे तो एक्टर बनना चाहिए था. जब लोग मुझसे कहते थे कि तुम प्रियंका की बहन हो, तुम्हे एक्टर बन जाना चाहिए, तो मुझे उनकी बात सुन लेनी चाहिए थी.
साभार: फिल्मफेयर

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