Sunday, May 8, 2011

मां के हाथों में नेमत है

-रघुवेंद्र सिंह
ऐसा नहीं है कि मां के हाथ का बना खाना सिर्फ आम आदमी को ही याद आता हो। ऐशोआराम की जिंदगी जीने वाले फिल्मस्टार्स और खिलाड़ी भी मां के खाने को उतना ही मिस करते हैं जितना कि हम और आप। सुनिए खुद उनकी जुबानी-

मेरी मम्मी कमाल की कुक हैं। मैं कोशिश करता हूं कि महीने में दो बार उनके हाथ का बना खाना खाऊं। मेरी मम्मी शुद्ध शाकाहारी हैं। उनकी एक डिश ऐसी है कि सिर्फ वे ही बना सकती हैं। वे फूल गोभी को बिना काटे बनाती हैं। उसके स्वाद को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।
-निखिल द्विवेदी


मैं मम्मी के हाथ का बना खाना ही खाता हूं। मुझे मम्मी के हाथ की बनी फिश फ्राई और फिश करी बहुत पसंद है। जब मैं छोटा था तो मेरी मम्मी पांच बजे उठकर मेरे लिए लंच और डिनर के लिए अलग-अलग डिश बनाकर शूटिंग पर जाती थीं। उस वक्त मुझे महसूस नहीं हुआ कि वे कितना बड़ा काम कर रही हैं। आज एक्टर बनने के बाद मुझे अहसास होता है कि पूरे दिन शूट करने के बाद सुबह पांच बजे उठकर किसी के लिए खाना बनाना कितना मुश्किल काम है।
-रुसलान मुमताज

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