Sunday, May 15, 2011

परिवार के खून में है एक्टिंग-आशा भोसले


जी हाँ, खबर सोलह आने सच है कि 77 वर्षीया पा‌र्श्व गायिका आशा भोसले पहली बार बड़े पर्दे पर अभिनय करने जा रही हैं। वह फिल्म माई में आशा माई की केंद्रीय भूमिका निभा रही हैं। डर और घबराहट के साथ-साथ वे अत्यंत उत्साहित भी हैं। वह कहती हैं, ''मुझे अपना नाम खराब होने का डर लगता है। पहली बार बड़े पर्दे पर आना, फिल्म के लिए शूटिंग करना मेरे लिए नया अनुभव, नया प्रयोग है।''

माई के लिए स्वीकृति देने से पूर्व आशा भोसले असमंजस की स्थिति में थीं। वह लगभग एक महीने हां और ना के बीच उलझी रहीं। बेटे के प्रोत्साहन, दीदी लता की हौसलाअफजाई के बाद वह अंतिम निर्णय ले सकीं। आशा बताती हैं, ''मेरे बेटे ने कहा कि तुमने आज तक गाना गाया, स्टेज शो किए, म्यूजिक वीडियो किए, अब एक बार बिग स्क्रीन पर भी आ जाओ। मैंने हां तो कह दिया, लेकिन महीना भर असमंजस में रही। मैंने लता दीदी से पूछा कि तुम्हे क्या लगता है मुझे फिल्म में काम करना चाहिए? दीदी ने कहा कि तू कर लेगी। घबरा मत। एक्टिंग हमारे परिवार के खून में है।''
आशा जी व लता जी के पिता दीनानाथ मंगेशकर थिएटर और शास्त्रीय संगीत की दुनिया से जुड़े रहे हैं। लता जी ने कम उम्र में फिल्मों में काम करना आरंभ कर दिया था। आशा के पास भी बचपन में फिल्म का ऑफर आया था। वह हंसते हुए बताती हैं, ''मैं दस साल की थी तब किसी ने मुझे फिल्म में काम करने का ऑफर दिया था। मैंने उनसे कहा कि मैं अपना चेहरा रोज आइने में देखती हूं। मेरा चेहरा फिल्म के लायक नहीं है। मैंने तब फिल्म के लिए मना कर दिया। हालांकि अब मैं रिस्क ले रही हूं, लेकिन मेरा खयाल है कि यह काम उतना रिस्की भी नहीं है।''
आशा जी आश्वस्त करती हैं कि उनकी फिल्म माई में इमोशन होगा, रियल एक्टिंग होगी। सहज और सरल आशा जी फिल्म में अपने अंदाज में ही होंगी। न तो वह एक्टिंग करने की कोशिश करेंगी और न ही साड़ी के अलावा कोई परिधान पहनेंगी। आशा कहती हैं, ''मैंने निर्देशक से कह दिया है कि मैं एक्टिंग नहीं करूंगी। मैं जैसी हूं, अगर आप वैसा चाहते हैं तो मैं फिल्म में काम करूंगी। मेरा साड़ी पहनने का स्टाइल, बातचीत का स्टाइल, बाल संवारने का स्टाइल बदला नहीं जाएगा। मैं फिल्म में नैचुरल रहूंगी। मैं खुद को बदल नहीं सकती।''
माई में आशा जी अल्जाइमर से ग्रस्त महिला का किरदार निभा रही हैं। फिल्म में काम कर रहे लोकप्रिय कलाकार राम कपूर के अनुसार वह अपने किरदार की तैयारी के सिलसिले में हैदराबाद के एक अस्पताल में गई थीं। वहां उन्होंने अल्जाइमर पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की। राम कपूर के अलावा फिल्म में पद्मिनी कोल्हापुरे भी हैं। पद्मिनी आशा जी की सगी बुआ की पोती हैं। पद्मिनी को फिल्मों में आशा जी ही लाई थीं। वह नए कलाकार के मानिंद कहती हैं, ''पद्मिनी के साथ काम करना मुश्किल है। वह बड़ी एक्ट्रेस है, पर घर की होने की वजह से वह मेरे साथ वैसा कुछ नहीं करेगी जैसा दूसरे आर्टिस्ट करते। वह मुझे संभाल लेगी।''
-रघुवेन्द्र सिंह

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