Friday, August 28, 2009

सत्तर के दशक की फिल्म किसान | फिल्म समीक्षा

मुख्य कलाकार : जैकी श्राफ, सोहेल खान, अरबाज़ खान, दीया मिजऱ्ा, नौहीद सायरसी
निर्देशक : पुनीत सिरा
तकनीकी टीम : निर्माता- सोहेल खान एवं रोनी स्क्रूवाला, बैनर-सोहेल खान प्रोडक्शन, पटकथा-वेकेना ढि़ल्लन, सोहेल खान, गीत- पंछी जालौनी, संगीत-डब्बू मलिक।
पुनीत सिरा की फिल्म किसान से खेत-खलिहान, हल और किसान बड़े पर्दे पर वापस लौटे हैं। किसान पंजाब के किसी गांव के विधुर किसान दयाल सिंह और उसके दो बेटों की कहानी है। दयाल सिंह बड़े बेटे को शहर पढ़ने के लिए भेजता है ताकि वह शिक्षित बने और छोटे बेटे को खेती में लगाता है। अचानक गांव में शहर का व्यवसायी सोहन सेठ आता है और वह किसानों से जमीन बेचने के लिए कहता है, लेकिन दयाल सिंह उसका विरोध करता है। यही बात दयाल सिंह को सोहन सेठ का दुश्मन बना देती है। यहीं से फिल्म विषय से भटकती है। किसान फिल्म से गायब हो जाते हैं और दयाल सिंह, उसके बेटों एवं सोहन सेठ के बीच लड़ाई छिड़ जाती है। गांव भी फिल्म से गायब हो जाता है।
पुनीत सिरा ने मनोज कुमार की फिल्मों से प्रेरित होकर किसान बनाई है। यह सत्तर के दशक की फिल्म प्रतीत होती है। इसकी कहानी, पात्र और फिल्म में पेश की गई किसानों की समस्या उसी जमाने की है। यदि पुनीत सिरा ने आज के किसानों की समस्याओं पर शोध करके फिल्म बनाई होती तो नयापन लगता। निर्देशक को ग्रामीण कल्चर भी जानने की जरूरत है। जैकी श्रॉफ, सोहेल खान, नौहीद सायरसी और दिया मिर्जा ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है, जबकि अरबाज खान पूरी फिल्म में कन्फ्यूज लगते हैं। डब्बू मलिक का संगीत कहानी के अनुकूल है।
रेटिंग- ढ़ाई स्टार
-रघुवेन्द्र सिंह

No comments: