Wednesday, April 22, 2009

आने से उसके आई बहार

अध्ययन सुमन और कंगना राणावत की प्रेम कहानी का आगाज दोस्ती से शुरू हुआ और उस दोस्ती ने प्रेम का रूप कब अपना लिया, यह हम दोनों को पता ही नहीं चला! इस वक्त अध्ययन और कंगना की गिनती फिल्म इंडस्ट्री के हॉट लव-कपल में की जा रही है। अध्ययन अपनी सबसे अच्छी दोस्त और गर्लफ्रेंड कंगना से उनके कैसे रिश्ते हैं, उस पर चर्चा कर रहे हैं तरंग से..
कंगना बिना अधूरा था : फिल्म इंडस्ट्री के गलियारों में ही मैं पला-बढ़ा हूं। बचपन से ही लड़कियां मेरी दोस्त हुआ करती थीं। अब तक के जीवन में मैं कभी कंगना जैसी लड़की से नहीं मिला था। वे जब से मेरी जिंदगी में आई हैं, सब कुछ अच्छा लगने लगा है और उनके आने से जिंदगी में बहार आ गई है। सच कहूं, तो पहले मुझे एक अजीब-सा अधूरापन महसूस होता था। लगता था कि जिंदगी में किसी चीज का अभाव है, लेकिन कंगना ने उस अधूरेपन को खत्म कर दिया है।
एक-दूसरे को समझते हैं : कंगना से मेरी मुलाकात फिल्म राज-द मिस्ट्री कंटीन्यूज की शूटिंग के दौरान हुई। पहली मुलाकात में ही मैं उनकी तरफ आकर्षित हो गया, लेकिन वे मुझसे सीनियर थीं, इसलिए उनके पास जाने की हिम्मत ही नहीं होती थी। मैं उन्हें छुप-छुप कर देखा करता और अपने दोस्तों से उनके बारे में बातें करता था, लेकिन एक कॉमन दोस्त ने मेरी पोल खोल दी। उसके बाद धीरे-धीरे हम दोनों की नजदीकियां बढ़ने लगीं। जब हम एक-दूसरे को अच्छी तरह समझ गए, तो साथ-साथ चलने का फैसला कर लिया। अब न केवल मैं कंगना की हर पसंद-नापसंद को जानता हूं, बल्कि वे भी मुझे अच्छी तरह समझती हैं। सच कहूं, तो हम दोनों को एक-दूसरे का साथ भाता है।
करियर है प्राथमिकता : अभी हम दोनों की शादी करने की योजना नहीं है, क्योंकि अभी मेरे करियर की शुरुआत हुई है और कंगना इस वक्त तेजी से आगे भी बढ़ रही हैं। यही वक्त है, जब वे और ऊंचाई छू सकती हैं इसलिए ऐसे वक्त में हम शादी करके अपने करियर का सत्यानाश नहीं करना चाहते! वैसे, कंगना भी मुझे यही सलाह देती हैं। हमारे पास शादी करने के लिए काफी समय है। अभी हम लव-लाइफ को एंज्वॉय कर रहे हैं। हम दोनों के पैरेंट्स को भी जल्दबाजी नहीं है।
गर्व है : मैं गर्व महसूस करता हूं कि कंगना मेरी खास दोस्त हैं। उनके जैसी खुद्दार लड़कियां मैंने कम देखी हैं। उन्होंने अपने दम पर फिल्म इंडस्ट्री में जो मुकाम और पहचान बनाई है, वह दूसरों के लिए प्रेरणा हो सकती है। वे भारतीय संस्कारों में यकीन करती हैं। दूसरों का आदर करना जानती हैं। मैं चाहूंगा कि वे ऐसी ही रहें। प्रोफेशनल लाइफ में ऐसे ही आगे बढ़ती रहें और सफलता की नई ऊंचाइयां छूएं।

-रघुवेंद्र सिंह

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