Sunday, January 11, 2009

मैंने संघर्ष नहीं देखा: कोंकणा सेन

कोंकणा शर्मा को अब तक साधारण, लेकिन दमदार और बेहद प्रभावी भूमिकाओं में देखा गया है। मिस्टर एंड मिसेज अय्यर, पेज थ्री, 15 पार्क एवेन्यू, ओंकारा, ट्रैफिक सिग्नल और मेट्रो उनकी ऐसी ही कुछ अविस्मरणीय फिल्में हैं। कोंकणा इन फिल्मों से मिली समृद्ध अभिनेत्री की अपनी पहचान से खुश भी हैं। कोंकणा अब ग्लैमरस भूमिकाओं का रूख कर रही हैं। जोया अख्तर की फिल्म लक बाई चांस को उनका पहला कदम माना जा रहा है। लक बाई चांस और भावी योजनाओं के बारे में बता रही हैं कोंकणा-
लक बाई चांस में आपने पहली बार ग्लैमरस भूमिका की है। क्या अब साधारण और ग्लैमर विहीन भूमिकाओं से उब चुकी हैं?
ऐसी बात नहीं है। मैं पहले न तो सोच-विचार कर ग्लैमर विहीन भूमिकाएं कर रही थी और न अब रणनीति बनाकर ग्लैमरस भूमिकाएं करने जा रही हूं। ये तो निर्माताओं से पूछना पड़ेगा कि वे पहले मुझे ग्लैमरस भूमिकाएं क्यों नहीं दे रहे थे? मैं तो ऐसी भूमिकाएं पाकर बहुत खुश हूं। मैं इसे अपना सौभाग्य मानती हूं।
तब्बू और करीना इस फिल्म में काम करने से मना कर चुकी थीं। फिर आपने कैसे स्वीकृति दे दी?
मुझे लक बाई चांस की स्क्रिप्ट बहुत अच्छी लगी। दरअसल, जोया की यह फिल्म हमारी यानी फिल्म इंडस्ट्री की कहानी है। इसमें दिखाया गया है कि यहां टैलेंट ही सब कुछ नहीं होता। थोड़ा-बहुत लक का होना भी जरूरी है। तभी आप स्टार बन सकते हैं। जोया ने तीन-चार साल पहले इस फिल्म की कहानी लिखी थी और मुझे ये जानकारी भी थी कि तब्बू और करीना इस फिल्म के लिए ना कह चुकी हैं, लेकिन मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। मैं इस फिल्म का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूं।
आप एक्ट्रेस की भूमिका निभा रही हैं। आपकी रीयल लाइफ से यह भूमिका कितना मेल खाती है?
सच है कि मैं इस फिल्म में एक्ट्रेस की भूमिका निभा रही हूं, लेकिन उसका मेरी रीयल लाइफ से कोई नाता नहीं है। मैं इसमें कानपुर की लड़की सोना मिश्रा बनी हूं। वह बहुत महत्वाकांक्षी है। वह एक्ट्रेस बनना चाहती है। अपने लक्ष्य के लिए वह संघर्षरत भी है। उसके सपने पूरे होते हैं या नहीं, यही उसकी जर्नी है। मुझे अपनी लाइफ में संघर्ष नहीं करना पड़ा था। मुझे कॉलेज के दौरान ही दो बंगाली फिल्मों में काम करने का मौका मिल गया और कॉलेज की पढ़ाई खत्म होते ही मिस्टर एंड मिसेज अय्यर में काम किया। उस फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। मैंने संघर्ष देखा ही नहीं है।
इसमें आपके नायक फरहान अख्तर हैं। उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
फरहान बहुत अच्छे निर्देशक हैं, यह बात हम सबको पता थी। उन्होंने रॉक ऑन से साबित कर दिया कि वे बहुत अच्छे एक्टर और सिंगर भी हैं। मैंने उनके साथ काम करते हुए बहुत सहज महसूस किया। वे बहुत हेल्पफुल रहे। वे फिल्म निर्माण की विधा से अच्छी तरह परिचित हैं इसलिए वे सबकी सुविधानुसार अपना काम करते थे।
बतौर निर्देशक यह जोया की पहली फिल्म है। उनकी फिल्म साइन करते समय आप झिझकीं नहीं?
नहीं। मैंने पहले भी बहुत सारे नए निर्देशकों के साथ काम किया है। जोया को मैं काफी समय से जानती हूं। वे अनुभवी हैं। वे इस फिल्म की लेखक भी हैं और एक लेखक अपनी कहानी को अच्छे तरीके से पर्दे पर उतार पाता है। मुझे उनके साथ काम करके मजा आया।
इस साल आप किन-किन फिल्मों में दिखेंगी? क्या अपेक्षाएं हैं नए साल से?
लक बाई चांस के बाद इस साल मेरी अयान मुखर्जी की रणबीर कपूर के साथ वेक अप सिद, नीरज पाठक की राइट या रांग, रितुपर्णो घोष की सनग्लास और विनोद मित्रा की मेरीडियन फिल्में आएंगी। हाल में मेरी छोटे बजट की फिल्म द प्रेसीडेंट इज कमिंग प्रदर्शित हुई। मैं हमेशा कुछ नया करने में विश्वास करती हूं। इस साल मेरी ऐसी ही फिल्में प्रदर्शित होंगी, जिनमें दर्शक मुझे जुदा अंदाज में देखेंगे।
-रघुवेंद्र सिंह

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