Monday, November 24, 2008

एक तरह की फिल्म बनाने में मजा नहीं आता: ओनिर

[रघुवेंद्र सिंह]
युवा निर्देशक ओनिर ने अपनी दो फिल्मों माई ब्रदर निखिल और बस एक पल के जरिए बहुत कम समय में सिनेमा जगत में पहचान बना ली है। एड्स पर बनी उनकी फिल्म माई ब्रदर निखिल अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में दिखायी जा चुकी है। अब ओनिर तीसरी फिल्म सॉरी भाई लेकर आ रहे हैं। यह रोमांटिक कॉमेडी है। ओनिर कहते है, मैंने पहली बार रोमांटिक कॉमेडी बनायी है। निर्देशक के तौर पर यह मेरा विकास है। मैं अलग-अलग जॉनर की फिल्में बनाना चाहता हूं। मुझे एक ही तरह की फिल्में बनाने में मजा नहीं आता। इस फिल्म को बनाने के बाद मुझे निर्देशक के तौर पर अपनी स्ट्रेन्थ पता चल रही है।
ओनिर निर्देशित सॉरी भाई में शबाना आजमी, बोमन ईरानी, संजय सूरी, शरमन जोशी और हजारों ख्वाहिशें ऐसी की चित्रांगदा सिंह अहम भूमिका में हैं। कहानी के बारे में ओनिर कहते हैं, यह दो भाइयों की कहानी है। बड़ा भाई हर्षव‌र्द्धन मॉरीशस में रहता है। वह बैंक में नौकरी करता है। अपनी शादी के लिए वह मुंबई से अपने मम्मी-पापा और छोटे भाई सिद्धार्थ को मॉरीशस बुलाता है। वहां सिद्धार्थ अपनी होने वाली भाभी आलिया से मिलता है। धीरे-धीरे उनकी नजदीकियां बढ़ती हैं और वे एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं। अंत में क्या होता है? यह देखना मजेदार होगा। यह साफ-सुथरी फन फिल्म है। मेरी पिछली फिल्मों की तरह इसमें एक समानता है। यह फिल्म भी रिश्तों की कहानी है।
शबाना और बोमन को साथ कास्ट करने के बाबत ओनिर कहते हैं, मैंने हनीमून ट्रवेल्स प्रालि देखी है। मुझे उस फिल्म में शबाना और बोमन की कैमिस्ट्री बहुत अच्छी लगी थी। मैं जब अपनी फिल्म की कास्टिंग कर रहा था तो मां के रोल के लिए मेरे दिमाग में शबाना जी का नाम आया। फिर पिता की भूमिका के लिए शबाना जी ने बोमन का नाम सुझाया। दरअसल, हमें मॉडर्न पैरेंट्स के रूप में ऐसा पेयर चाहिए था जो शरारती हो और साथ ही रिस्पेक्टिव भी।
उल्लेखनीय है, ओनिर ने कॅरियर की शुरुआत बतौर फिल्म एडिटर की थी। संजय सूरी से फिल्म दमन के सेट पर उनकी मित्रता हुई। फिर उन्हीं के प्रोत्साहन पर वे फिल्म निर्देशन में आ गए। आज संजय के साथ मिलकर वे फिल्मों का निर्माण करते हैं।
अपनी भावी योजनाओं के बारे में ओनिर बताते हैं, इस वक्त मैं फिल्म हैमलेट पर काम कर रहा हूं। उसके अतिरिक्त स्टूडियो 18 के साथ चश्मेबद्दूर, एडवेंचर फिल्म काश और एक इंडो-जर्मन फिल्म बनाने की तैयारी कर रहा हूं। चश्मेबद्दूर 1981 में आयी फिल्म से प्रेरित होगी। हमने उसके अधिकार खरीद लिए हैं। मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि मेरी फिल्म रीमेक नहीं होगी। सिर्फ कांसेप्ट पुराना है। बाकी सब कुछ नया होगा।

No comments: