Friday, October 10, 2008

मुझे किसी को मनाना नहीं पड़ा: अतुल अग्निहोत्री

-रघुवेंद्र सिंह
अभिनेता से निर्देशक बने अतुल अग्निहोत्री की दूसरी फिल्म हेलो प्रदर्शन के लिए तैयार है। गौरतलब है कि 2004 में अतुल ने पहली बार निर्देशन की कमान संभाली थी और सलमान खान, प्रीति जिंटा और भूमिका चावला को लेकर फिल्म दिल ने जिसे अपना कहा बनाई थी। हेलो युवा लेखक चेतन भगत के चर्चित इंग्लिश नॉवेल वन नाइट ऐट द कॉल सेंटर पर आधारित है। प्रस्तुत है अतुल अग्निहोत्री से बातचीत..
आप पहली फिल्म की रिलीज के बाद कहां गायब हो गए थे?
मैं अपनी दूसरी फिल्म के लिए विषय की खोज कर रहा था। बाद में जब चेतन भगत के नॉवेल पर फिल्म बनाने का फैसला हुआ, तो उसकी तैयारी में जुट गया। मैं पिछले तीन सालों से इसके निर्माण में व्यस्त था, जो अब पूरा हुआ है।
इस उपन्यास पर फिल्म बनाने का खयाल कैसे आया?
दरअसल, मैं अपनी दूसरी फिल्म भारतीय दर्शकों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए भी बनाना चाहता था। इसलिए मैं किसी ऐसी कहानी की तलाश में था, जो मेरी इस ख्वाहिश को अंजाम दे सके। फिर मुझे चेतन के नॉवेल के बारे में सूझा। मैंने गौर किया कि उनका नॉवेल 16 वर्ष से 30 वर्ष की उम्र के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ है और उनके नॉवेल का विश्व की लगभग हर भाषा में अनुवाद हो चुका है। बस, मुझे उनकी कहानी में अपनी मंजिल दिखी और मैंने नॉवेल पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया।
क्या आपने कहानी में कुछ बदलाव किया है?
मैंने कहानी में थोड़ा-सा बदलाव किया है। उसकी वजह माध्यम है। जब किसी पुस्तक के पात्र स्क्रीन पर आते हैं, तो बदलाव होना स्वाभाविक हो जाता है। वैसे, मैंने जो भी बदलाव किए हैं, उनमें चेतन की पूरी सहमति रही है।
इसकी मेकिंग के समय आपकी स्वतंत्रता भी बाधित हुई?
निश्चित रूप से हुई। मुझे चेतन की कहानी और उनके पात्रों की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए ही निर्देशन करना पड़ा है।
फिल्म की कहानी संक्षेप में बताएं और इसमें अपना प्रिय पात्र?
इसकी कहानी एक रात की है। कॉल सेंटर में काम करने वाले कुछ युवाओं को शाम सात बजे भगवान का फोन आता है। उसके बाद क्या होता है, यह देखना रोचक होगा। इसकी कहानी इतनी रोचक है कि विश्व का हर शख्स खुद को इससे रिलेट करेगा। मुझे फिल्म का चरित्र श्याम बहुत प्रिय है। यह किरदार शरमन जोशी निभा रहे हैं।
सलमान खान-कैटरीना कैफ को मेहमान भूमिका के लिए तैयार कराना कितना मुश्किल लगा?
बिल्कुल नहीं। मैंने फिल्म बनाने से पहले अपने हर कलाकार मित्र को नॉवेल की एक-एक प्रति खरीद कर दी थी। नॉवेल पढ़ने के बाद सब खुद-ब-खुद मेरे पास फिल्म में काम करने का प्रस्ताव लेकर आ गए। सबने अपनी मर्जी और खुशी से इसमें काम किया है। मुझे किसी को मनाना नहीं पड़ा।
आगे की क्या योजनाएं हैं?
अभी हेलो के अलावा, मैं कुछ और सोच ही नहीं रहा हूं। चार साल का गैप लेकर मैंने रिस्क लिया है। इस फिल्म के रिजल्ट पर मेरी आगे की योजनाएं निर्भर हैं।

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