Monday, September 15, 2008

मम्मी कहलाने से ऐतराज है: किरण खेर

-रघुवेंद्र सिंह
संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास से हिंदी सिनेमा को निरुपा राय के बाद एक और मां मिली किरण खेर के रूप में। अब तक वे मैं हूं ना, हम-तुम, वीर जारा, रंग दे बसंती, कभी अलविदा ना कहना और हाल में आई फिल्म सिंह इज किंग में मां की भूमिका में दिखी हैं। अब किरण फिल्म सास, बहू और सेंसेक्स में भी मां की भूमिका से लोगों को हंसाने आ रही हैं। उल्लेखनीय है कि वे अभिनेता अनुपम खेर की पत्नी हैं और हाल ही में उनके बेटे सिकंदर खेर ने फिल्मों में कदम रखा है। प्रस्तुत है, किरण खेर से हुई बातचीत के प्रमुख अंश..।
कहा जाता है कि आपको मम्मी कहलाने से ऐतराज है?
मुझे मम्मी कहलाने से बिल्कुल ऐतराज नहीं है, लेकिन हां, मुझे इस बात से ऐतराज जरूर है कि सारे जर्नलिस्ट क्यों सवाल करते हैं कि आप किसकी मम्मी का रोल कर रही हैं? अरे, वह तो एक किरदार है और हम कलाकार हैं। हम अपने उस किरदार को निभाते हैं। कभी करीना कपूर से कोई नहीं पूछता कि आप किसकी बेटी का किरदार निभा रही हैं?
सास, बहू और सेंसेक्स में आप कैसी सास बनी हैं?
मैं इसमें सास का किरदार नहीं निभा रही हूं। यह फिल्म सास-बहू की कहानी नहीं है, बल्कि सास-बहू सीरियल देखने वाली महिलाओं पर केंद्रित है। दरअसल, इसकी कहानी आज के हिंदुस्तान की है। भारत कितनी तेजी से बदल रहा है, यह फिल्म उसी बिंदु पर प्रकाश डालती है। मैं फिल्म में बिनीता सेन का किरदार निभा रही हूं। तनुश्री दत्ता मेरी बेटी बनी हैं। मेरा, बेटी और स्टॉक ब्रोकर बने फारूख शेख के बीच कैसा रिश्ता है? यह लोगों को हंसाएगा। खासकर, इसमें मेरा किरदार बहुत मजेदार है।
फारूख शेख के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
मैं कॉलेज के दिनों में फारूख शेख की बहुत बड़ी प्रशंसक थी। सच तो यह है कि उनकी फिल्मों की दीवानी थी। अपने पसंदीदा ऐक्टर के साथ काम करना भला किसे अच्छा नहीं लगेगा? फारूख ब्रिलिएंट ऐक्टर हैं। मैं उनके सेंस ऑफ ह्यूमर की तारीफ करूंगी। मैंने उनके साथ काम करते हुए हर पल एंज्वॉय किया। उम्मीद है, उनकेसाथ बनी मेरी जोड़ी को दर्शक पसंद करेंगे।
फिल्म की निर्देशक शोना उर्वशी महिला हैं। पुरुष और महिला निर्देशक में से किसके साथ काम करते हुए ज्यादा सहज महसूस करती हैं?
मैं दोनों के साथ काम करते हुए सहज महसूस करती हूं। बस, निर्देशक अच्छा होना चाहिए। कई बार महिला निर्देशक खराब होती हैं, लेकिन शोना ऐसी नहीं हैं। दरअसल, उन्हें जब तक परफेक्ट शॉट नहीं मिलता था, छोड़ती नहीं थीं।
हिंदी फिल्मों में सीनियर कलाकारों की भूमिकाएं छोटी होती हैं। क्या इस बात से आप सहमत हैं?
यह कहना ज्यादा उचित होगा कि कॉमर्शिअॅल फिल्मों में हम जैसे कलाकारों के किरदार छोटे ही लिखे जाते हैं। यही कारण है कि मैंने अब तक जितनी भूमिकाएं निभाई हैं, उनमें से किसी से भी संतुष्ट नहीं हूं, सिवाय देवदास के। मैंने जिन किरदारों को निभाया है, वे मेरी वजह से यादगार हैं। वरना उन्हें भी लोग कब के भूल गए होते! शुक्र है, अब परिदृश्य थोड़ा बदल रहा है।
सिकंदर ने अपने नाम से खेर हटा दिया है। आपने कुछ कहा नहीं?
हमारी सहमति से सिकंदर ने ऐसा किया है। दरअसल, वे पूरा नाम लिखते हैं, तो बहुत बड़ा हो जाता है। यही कारण है कि उन्होंने सरनेम हटा दिया। हालांकि मीडिया अभी तक सिकंदर खेर ही लिखती है।
सिकंदर की दोनों फिल्में असफल हो गई। आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
इससे सिकंदर के करियर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उनकी फिल्म वुडस्टॉक विला ने अच्छा बिजनेस किया है। हां, समर 2007 अच्छी जरूर नहीं चली। इसके पीछे कारण यह है कि उस फिल्म की पब्लिसिटी उन लोगों ने अच्छी तरह नहीं की थी। वैसे, बीते महीनों में जितने नए लड़के आए हैं, उनमें सिकंदर बेस्ट हैं।
अनुपम, सिकंदर और आपको एक साथ पर्दे पर लोग कब देखेंगे?
फिलहाल, हमने ऐसी कोई फिल्म साइन नहीं की है। संभव है, अनुपम अपने होम-प्रोडक्शन में सिकंदर को लेकर कोई फिल्म बनाएं, लेकिन उसमें मैं भी होऊंगी, यह फिलहाल नहीं कह सकती।

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