Saturday, July 19, 2008

मैं नहीं चाहता कि लोग किस्मत पर यकीन करें: अजीज मिर्जा


-रघुवेंद्र सिंह
फिल्मकार अजीज मिर्जा ने पांच वर्ष के लंबे अंतराल के बाद फिल्म किस्मत कनेक्शन का निर्देशन किया है। हैरानी की बात तो यह है कि इस फिल्म में उनके पसंदीदा अभिनेता शाहरुख खान नहीं हैं। अब तक उन्होंने अपनी सभी फिल्मों राजू बन गया जेंटिलमैन, यस बॉस, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी और चलते-चलते में शाहरुख को लीड रोल में लिया था, लेकिन इस बार शाहरुख की जगह शाहिद कपूर ने ले ली है। प्रस्तुत हैं, अजीज मिर्जा से किस्मत कनेक्शन को लेकर हुई बातचीत के अंश..।
आपने फिल्म चलते चलते के बाद पांच साल तक निर्देशन से दूरी बनाए रखी। क्यों?
कोई खास वजह नहीं है। दरअसल, मैं शुरू से ही बहुत इत्मीनान से काम करता रहा हूं। मेरी पिछली फिल्मों में भी ऐसे ही चार-पांच साल का गैप रहा है। मैं इस बात में बहुत यकीन रखता हूं कि जब जो होना होता है, वह तभी होता है। इस फिल्म केमामले में भी यही बात लागू हुई, क्योंकि मैं किसी और सब्जेक्ट पर काम कर था। एक दिन बेटी राहिला मेरे पास इस फिल्म का कॉसेप्ट लेकर आई और फिर इसके बनने का सिलसिला शुरू हो गया।
किस्मत कनेक्शन किस तरह की फिल्म है और इसकी कहानी क्या है?
मेरी पिछली फिल्मों की तरह यह भी साफ-सुथरी एक रोमांटिक फिल्म है। इसकी कहानी के केंद्र में एक युवक है राज मल्होत्रा, जो आर्किटेक्ट की डिग्री लिए नौकरी तलाश रहा है। हमेशा किसी-न-किसी वजह से मिलने वाला सुनहरा मौका उससे छिन जाता है। प्रिया से मुलाकात के बाद कैसे उसकी जिंदगी बदलती है, यही इसकी कहानी है।
क्या फिल्म लोगों को किस्मत में विश्वास करने का संदेश देती है?
नहीं, मेरी फिल्म किसी तरह का संदेश नहीं देती है। दरअसल, यह दर्शकों पर निर्भर है कि वे फिल्म से क्या लेकर जाते हैं! मैं नहीं चाहता कि लोग किस्मत पर यकीन करें, खासकर युवा। एक कहावत है, हरकत में ही बरकत होती है। आज के बच्चों को मेहनत करने की जरूरत है। बूढ़े लोग किस्मत पर यकीन कर सकते हैं।
शाहरुख के बजाय शाहिद कपूर को लेकर फिल्म बनाने की वजह क्या है?
बस, फिल्म की कहानी। दरअसल, मैंने यह फिल्म शाहिद को ही दिमाग में रखकर लिखी थी। मैं फिल्म इश्क विश्क में शाहिद के काम से बहुत प्रभावित हुआ था। तभी से उसके साथ काम करने के लिए उत्सुक था।
आपके मुताबिक शाहरुख और शाहिद में कितनी समानता है? क्या दोनों की तुलना करना उचित है?
दोनों बहुत परिश्रमी हैं। इनमें खास बात यह है किहर कलाकार की एक सीमा होती है। किसी विशेष शॉट के बाद आप उस अमुक कलाकार से और कुछ उम्मीद नहीं कर पाते, जबकि इन दोनों से आप बेहतरीन शॉट के बाद भी एक और बेहतरीन शॉट की अपेक्षा कर सकते हैं। दोनों को अच्छा कलाकार मानता हूं।
शाहिद और विद्या बालन की जोड़ी को लोग बेमेल कह रहे हैं?
इस फिल्म की रिलीज के बाद लोगों की यह धारणा बदल जाएगी। शाहरुख और जूही की जोड़ी को लेकर लोगों ने शुरू में ऐसा ही कहा था। बाद में उनकी जोड़ी हिट हो गई। मेरे हिसाब से शाहिद-विद्या की जोड़ी एकदम फिट है।
भविष्य की क्या योजनाएं हैं?
मेरी फिलहाल कोई योजना नहीं है। हो सकता है कि मैं अपने लिए जल्द ही कोई फिल्म बनाऊं, या फिर संभव है कि शाहरुख के प्रोडक्शन हाउस रेड चिलीज के लिए कोई फिल्म निर्देशित करूं! अभी कुछ नहीं कह सकता।

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